हिंदी रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है? Hindi Rangmanch Divas Kab Manaya Jata Hai

Hindi Rangmanch Divas Kab Manaya Jata Hai

हिंदी रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है? Hindi Rangmanch Divas Kab Manaya Jata Hai

प्रश्‍न # हिंदी रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है? Hindi Rangmanch Divas Kab Manaya Jata Hai
2 अप्रैल
3 अप्रैल
4 अप्रैल
5 अप्रैल




1 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

2 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

3 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

4 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

5 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

6 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

7 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

8 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

9 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

10 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

11 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

12 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

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18 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

19 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

20 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

21 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

22 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

23 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

24 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

25 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

26 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

27 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

28 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

29 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

30 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है

31 मार्च को कौन सा दिवस मनाया जाता है


हिंदी रंगमंच दिवस Hindi Rangmanch Divas Kab Manaya Jata Hai

हिंदी रंगमंच दिवस हर साल 3 अप्रैल को मनाया जाता है । 3 अप्रैल 1868 की शाम बनारस में पहली बार शीतलाप्रसाद त्रिपाठी कृत हिन्दी नाटक 'जानकी मंगल' का मंचन हुआ। जून 1967 में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास में पहली बार इस नाटक के मंचन को प्रामाणिक तौर पर पुष्ट किया।

इंग्लैंड के 'एलिन इंडियन मेल' के 8 मई 1868 के अंक में भी उस नाटक के मंचन की जानकारी भी प्रकाशित हुई थी। इसी आधार पर पहली बार शरद नागर ने ही हिन्दी रंगमंच दिवस की घोषणा 3 अप्रैल को की थी। 

हिंदी रंगमंच की स्थापना में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका तत्कालीन काशी नरेश ईश्वरीनारायण सिंह ने निभाई। उन दिनों नाट्य क्षेत्र में ब्रितानी माडल ज्यादा प्रभावी थे। काशी की पारम्परिकता, आधुनिकता के दबाव से बचने की कोशिश में बीच का रास्ता खोज रही थी। तब महाराज ईश्वरीप्रसाद नारायण सिंह ने अपने दरबारी कवि गणेश को इस पर काम करने को कहा। गणेश ने जो नाटक लिखा वह पारम्परिक और छन्दबद्ध था। महाराज संतुष्ट नहीं हुए। वह ऐसी परम्परा शुरू करना चाहते थे जो अंग्रेजी नाट्य प्रस्तुति का मुकाबला कर सके। तब उन्होंने यह जिम्मेदारी शीतलाप्रसाद त्रिपाठी को सौंपी। उन्होंने शास्त्रीय संस्कृत नाटक, पारंपरिक रामलीला और यूरोपीय नाट्य तत्वों को मिलाकर जानकी मंगल तैयार किया। बाबू ऐश्वर्यनारायण प्रसाद सिंह ने रामलीला के कलाकारों संग रिहर्सल शुरू किया। प्रस्तुति का स्थान चुना गया कैंटोनमेंट का असेंबली रूम्स एंड थियेटर जिसे बाद में 'रायल थिएटर' के नाम से भी जाना गया।

1 अप्रैल को कौन सा दिवस मनाया जाता है

2 अप्रैल को कौन सा दिवस मनाया जाता है


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