Subhash Chandra Bose के 124वें Jayanti 2022 पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण रोचक बातें

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक और जय हिन्द का नारा देने वाले सुभाष चन्द्र बोस जी की आज 124वें जयंती है । इस अवसर पर भारत सरकार ने इस वर्ष से गणतंत्र दिवस का पर्व 24 जनवरी के बजाए 23 जनवरी से मनाने का फैसला लिया है। अब से हरेक वर्ष सुभाष चंद्र बोस की जयंती के दिन अर्थात 23 जनवरी से ही गणतंत्र दिवस पर्व का आगाज होगा । तो चलित जानते है :

Subhash Chandra Bose के 124वें Jayanti 2022 पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण रोचक बातें
सुभाष चन्द्र बोस के परिवार का एक चित्र जिसमें वे सबसे दाएँ खड़े हैं।

Subhash Chandra Bose के 124वें Jayanti 2022 पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण रोचक बातें

1. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था । सुभाष चंद्र बोस के 7 भाई और 6 बहनें थीं.

2. नेताजी सुभाषचनद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।

3. उनके माता पिता चाहते थे कि सुभाष चंद्र बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाएं। सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय भेजा गया था। ये किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं था कि अंग्रेजों के शासन में जब भारतीयों के लिए किसी परीक्षा में पास होना तक मुश्किल होता था, तब नेताजी ने वर्ष 2020 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया।

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4. इसके बाद सुभाष ने अपने बड़े भाई शरतचन्द्र बोस को पत्र को लिखकर उनकी राय जाननी चाही कि उनके दिलो-दिमाग पर तो स्वामी विवेकानन्द और महर्षि अरविन्द घोष के आदर्शों ने कब्जा कर रक्खा है ऐसे में आईसीएस बनकर वह अंग्रेजों की गुलामी कैसे कर पायेंगे?

5. आखिरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 22 अप्रैल 1921 को भारत सचिव ई०एस० मान्टेग्यू को आईसीएस से त्यागपत्र देने का पत्र लिखा

6. वर्ष 1934 में जब सुभाष ऑस्ट्रिया में अपना इलाज कराने हेतु ठहरे हुए थे उस समय उन्हें अपनी पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी जानने वाले टाइपिस्ट की आवश्यकता हुई। उनके एक मित्र ने एमिली शेंकल (नाम की एक ऑस्ट्रियन महिला से उनकी मुलाकात करा दी। सुभाष एमिली की ओर आकर्षित हुए और उन दोनों में स्वाभाविक प्रेम हो गया। नाजी जर्मनी के सख्त कानूनों को देखते हुए उन दोनों ने सन् 1942 में बाड गास्टिन नामक स्थान पर हिन्दू पद्धति से विवाह रचा लिया। वियेना में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया। सुभाष ने उसे पहली बार तब देखा जब वह मुश्किल से चार सप्ताह की थी। उन्होंने उसका नाम अनिता बोस रखा था।

7. विठ्ठल भाई पटेल ने अपनी वसीयत में अपनी सारी सम्पत्ति सुभाष के नाम कर दी। मगर उनके निधन के पश्चात् उनके भाई सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस वसीयत को स्वीकार नहीं किया। सरदार पटेल ने इस वसीयत को लेकर अदालत में मुकदमा चलाया। यह मुकदमा जीतने पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने भाई की सारी सम्पत्ति गान्धी के हरिजन सेवा कार्य को भेंट कर दी।

8. वर्ष 1938 में सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। एक साल बाद 1939 के कांग्रेस अधिवेशन में गांधी जी के समर्थन से खड़े पट्टाभि सीतारमैया को नेताजी ने हरा दिया।

9. 3 मई 1939 को सुभाष ने कांग्रेस के अन्दर ही फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। कुछ दिन बाद सुभाष को कांग्रेस से ही निकाल दिया गया। बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक अपने आप एक स्वतन्त्र पार्टी बन गयी।

10. 21 अक्टूबर 1943 के दिन नेताजी ने सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की और आजाद हिंद फौज का गठन किया तथा इसके साथ ही आजाद हिंद बैंक की भी स्थापना की । इस सरकार, फौज और बैंक को दुनिया के नौ देशों बर्मा, क्रोसिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान चीन), इटली, थाईलैंड, मंचूको, फिलीपींस और आयरलैंड ने मान्‍यता दी । इन देशों ने आजाद हिंद बैंक की करेंसी को भी मान्यता दी थी।

11. आज़ाद हिन्द फ़ौज में महिलाओं के लिये झाँसी की रानी रेजिमेंट भी बनायी गयी।

12. आजाद हिंद फौज के गठन के बाद नेताजी सबसे पहले बर्मा पहुंचे, जो अब म्यांमार हो चुका है। यहां पर उन्होंने नारा दिया था, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'। सुभाष चंद्र बोस के इस नारे ने हर भारतवासी के खून को गर्म कर दिया था ।

13. 6 जुलाई 1944 को आज़ाद हिन्द रेडियो पर अपने भाषण के माध्यम से गांधीजी को सम्बोधित करते हुए नेताजी ने जापान से सहायता लेने का अपना कारण और आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना के उद्देश्य के बारे में बताया। इस भाषण के दौरान नेताजी ने गांधीजी को राष्ट्रपिता कहा तभी गांधीजी ने भी उन्हे नेताजी कहा।

14. नेताजी की ताकत बढ़ रही थी लेकिन अचानक 18 अगस्त 1945 को सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया। कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस का हवाई जहाज मंचुरिया जा रहा था, जो रास्ते में लापता हो गया। आज तक ये नहीं पता चल सका कि सुभाष चंद्र बोस के हवाई जहाज का क्या हुआ, वह कहां गया?

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